आने का तुम्हारे आगाज़ हो इस तरह…
आने का तुम्हारे आगाज़ हो इस तरह…
जैसे कोई तूफ़ान आया हो…
इस तूफ़ान का अंजाम हो इस तरह…
कि हवाए अपना रुख बदल दे…
हर शख्स वाकिफ हो जाये बुलंद हस्ती से तुम्हारी…
हो इरादे इतने बुलंद…कि उसमे कोई दखल न दे…
बस अफसाने रह गए…
चार दिन की जिंदगी थी…हम दीवाने हो गए…
दो दिन हम रूठ लिए…दो दिन तुमको मनाने में गए…
जब माने हम-तुम…तो ये जिन्दगी खत्म होने को थी…
न हम रहे न तुम…बस अफसाने रह गए…
यादे…
इन यादो कभी अजब एक फ़साना है…
खुद हंसती है और हमें रुलाती है…
उसकी चहचाहट सुन मै खामोश हो जाती है…
न जाने ये मुझसे क्या कहना चाहती है…
चाहकर भी नहीं सुन पाती हु…
उन आवाजों की खामोश गूंज को…
न जाने कौन सी बात है जो…
रह गयी थी अधूरी उस वक़्त…
वक़्त आज फिर करवट ले रहा है…
रह गयी थी जो बाते अधूरी…
उन्हें मचलकर कह रहा है…
ये बेचैनी का आलम है…
या है अफसाना बातो का…
रिश्ता नहीं ये तेरा-मेरा…
बंधन है प्यारी बातो का..
किससे कहू लौट आओ…
कैसे कहु मत जाओ…
क्या कहु इसे कि…
ये जो रिश्ता है हमारा…
क्या करू कि ये हासिल हो…
चालू चाहे जिस राह भी मै…
बस यादे तुम्हारी साथ हो…
ऐसे तोहफे भी कहा सबको मिलते है…
ये ही वो दिन थे…थे ऐसे ही कुछ नज़ारे…
हमने चाहा था तुमको…जैसे चाँद को चाहे सितारे…
सुना था तारे ही टूटते है…पेड़ तो चन्दन के ही कटते है…
कट जाते तुम्हारी खातिर…काश की तुम हमें दगा न देते…
कभी फ़िक्र हमारी भी की है…ऐसा जिक्र जो कभी करते…
हम ये कोई शिकवा… न शिकायत कर रहे है…
मान कर अपना…बस दिल की बात कह रहे है…
नहीं सोचा था कि…वफ़ा क्या सिला मिलेगा…
पर रुसवाई कि उम्मीद भी नहीं थी…
न जाने कहा खता हो गयी…
हमारी नेकी ही हमारी सजा हो गयी…
चाहते थे बड़ी शिद्दत से आपको…
पर ख्वाहिश कभी आपकी न कई…
कुछ न माँगा कभी आपसे…
तोहफे में आपने बेवफाई दी…
ये तोहफा भी हम दिल से कबूलते है…
ऐसे तोहफे भी कहा सबको मिलते है…
मेरे हिस्से की ख़ुशी भी मुझे खैरात में मिली…
हर ख़ुशी गम के साये में यहाँ दम तोडती मिली…
मेरी हर रात नींद में मुझे जागती ही मिली…
बदलती रही जिन्दगी यू ही अपने रंग अक्सर…
मेरे हिस्से की ख़ुशी भी मुझे खैरात में मिली…!!!
दोस्ती…
सिर्फ एक शब्द नहीं…जीवन का एहसास है दोस्ती…
जो जीवन को दिशा दे…ऐसा एक रिश्ता खास है दोस्ती…
जो रोते को हंसा दे…ऐसी जीवन श्वास है दोस्ती…
जो अंधेरो को रौशन करे…ऐसी ही एक आस है दोस्ती…
जो जीवन को तृप्ति दे…ऐसी एक प्यास है दोस्ती…
जो सदा साथ दे…ऐसा एक विश्वास है दोस्ती…
जो जीवन को सफल करे…ऐसा एक प्रयास है दोस्ती…
कोई तो रौशनी है जरूर…जो अंधेरो को धोका देती है…
ये ज़िन्दगी क्या है…एक हसीन धोका है,
ना चाहा हुआ यह…एक तोहफा है,
एक आग का दरिया है…एक अँधेरा कुआ है,
ना कोई कश्ती है…ना कोई मांझी है,
हर कोई यहाँ तनहा है…अकेला है,
ना रस्ते है…ना मंजिले है,
ना ठहरना है…ना ही कही जाना है,
सबकुछ यहाँ पहेली है…तन्हाई ही एक सहेली है,
कहता नहीं कोई कुछ…पर खामोशिया गूंजती है,
इन सन्नाटो में भी…कुछ आवाज़े बोलती है,
लडती है इन वीरानो से…इन तन्हाइयो से,
हारकर भी जिन्दगी से…हौसला नहीं खोती है,
कोई तो रौशनी है जरूर…जो अंधेरो को धोका देती है…!!!
उठे हाथ तो किसी का सहारा बने…
उठे हाथ तो किसी का सहारा बने…
उठे कदम तो किसी मंजिल की ओर…
तुम्हारी ठोकरों से ही तो एक रास्ता बनेगा…
तुम न सही कोई और तो मंजिल तक पहुचेगा…