Monthly Archives: April, 2012

यु तो क्या कहे…


यु तो क्या कहे की जिंदगी ने इम्तेहान बहुत लिए…
आँखों में आंसू कम, पर दिल पे जख्म कई दिए…
हर पर ख़ुशी की तलाश में भटकती रही जिन्दगी…
ख़ुशी न मिली, तो गम छुपाने के लिए मुस्कुरा दिए…

खो देती है…


खो देती है शमा अपना वजूद गैरों को उजाला देने में….
उन परवानो वजूद ही क्या जो जल जाते है दीवानगी में…

एक गुलाब …


एक गुलाब को पाने का अरमां दिल में जगाया…
और फिर उसकी राहों को काँटों से सजाया…
ऐ जिन्दगी! छीन लिए पैरो से जूते भी तुने…
और अब पाया क्या तो फूल भी मुरझाया…

चलते जाते है…


आसमान की ओर देखते है, जमीन को ठोकर मारते है…
जो हासिल नहीं है, उसी को पाना चाहते है…
इन चाहतो की खातिर ही तो, हम सपनो के महल सजाते है…
और हकीकतो से टकराकर सपने, बिखर-बिखर से जाते है…
इन सपनो को समेटकर हम, फिर से कदम बढ़ाते है…
लड़खड़ाते है, गिरते है, और गिरकर सम्हलते है…
मगर फिर भी चलते जाते है…
फिर से ख्वाब नए सजाते है…
चलते जाते है…चलते जाते है…चलते जाते है…

सोचती हु….


सोचती हु कभी तुमसे कह दू वो बात,
पर तुम जान लेते हो मेरे दिल की हर बात अनकही…

सोचती हु कभी पुकारू आवाज़ दे के तुम्हे,
पर करीब पाती हु तुम्हे हर पल हर कही…

सोचती हु कभी मुस्कुराऊ तुम्हे याद कर,
पर एहसास तुम्हारा कुछ भी भूलने नहीं देता कभी…

सोचती हु हर पल तुम्हे याद कर मै,
कही भूल न जाओ यु ही तुम मुझे कभी…

सोचती हु कभी कुछ पल बिताऊ साथ तुम्हारे,
पर कई लम्हे गुजर गए सोचते सोचते यु ही…

सोचती हु यु ही कही सोचती ही न रह जाऊ,
आओ लौट आओ राह भूलकर ही सही…